आपस में ही मरते-कटते
देश को क्या सम्भालेंगे?
रोती माँएँ, बिलखती बहनें
कौन इनके अश्रु रोके?
शस्त्र लिए,
सभी खड़े हैं
कोई यहां इंसान नहीं।
राम-कृष्ण की पावन भूमि
दंगों से जो ग्रसित हुई,
कुछ लोगों की सोच के कारण
सौहार्द चढ़ा परवान नहीं।
हथियारों का कहर जो बरसे
प्राणों का कोई मोल नहीं
समझे कौन सकल ब्रह्मांड में
प्रेम का कोई तोल नहीं?
ईमान मारकर जो
दो-दो कौड़ी में बिक जाते हैं
उन गद्दारों को नसीब हो
कब्र नहीं श्मशान नहीं।
कौन कहे आज़ाद हिंद है?
लानत ऐसी आज़ादी पर!
जहां पे नारी पूजी जाती
पर स्त्री का सम्मान नहीं!
हर घड़ी ही अस्मत लुटती है
हर घड़ी ही साँसें रुकती हैं
नादानों को कौन बताए?
यह कुकर्म है
शान नहीं!
ज़िंदगी इक दौड़ हो गई
समझ सारी छिन्न हो गई
भूत-भविष्य की सबको पड़ी है
चिंतन में वर्तमान नहीं।
प्रेम मरा, संस्कार मरे
दौलत को संसार मरा
महान कहलाया वो,
मरा जिसके अंदर शैतान नहीं।
पग-पग गुनाह-गद्दारी
पंख पसारे जाते हैं
हैवानियत है मन मंदिर में
कहीं मिले भगवान नहीं।
है मन में एक लौ उम्मीद अभी भी
होगा कभी आज़ाद हिंद
जानकर यह राष्ट्र की
राहें हैं आसान नहीं।
है वक्त अभी भी गया नहीं
है काल अभी तक थमा नहीं
हर पल ही देश पे जान लुटे
होगा करना कुछ ऐसा।
होगा करना कुछ ऐसा,
ना लोकतंत्र की हत्या हो!
ना इंसान पिटे
ना भगवान मिटे,
सम्मान, प्रेम, समृद्धि हो।
और,
कहीं दिखे शैतान नहीं,
कहीं दिखे शैतान नहीं।।
-YMM
Yash Mayank Modi
BTECH/15005/19
IG- yashmmodi_27
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